ऋग्वेद (मंडल 7)
ए॒वा न॑ इन्द्र॒ वार्य॑स्य पूर्धि॒ प्र ते॑ म॒हीं सु॑म॒तिं वे॑विदाम । इषं॑ पिन्व म॒घव॑द्भ्यः सु॒वीरां॑ यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभिः॒ सदा॑ नः ॥ (६)
हे इंद्र! इस प्रकार तुम हमें उत्तम धन से पूर्ण करो. हम तुम्हारी महती दया प्राप्त करें. हम हव्य वालों को वीर पुत्रों से युक्त अन्न दो एवं सभी कल्याणसाधनों से हमारी रक्षा करो. (६)
O Indra! Thus you make us complete with the best wealth. We receive your great kindness. Give us the people of the good that have the food containing the brave sons and protect us from all the welfare resources. (6)