ऋग्वेद (मंडल 7)
ब्रह्म॑न्वीर॒ ब्रह्म॑कृतिं जुषा॒णो॑ऽर्वाची॒नो हरि॑भिर्याहि॒ तूय॑म् । अ॒स्मिन्नू॒ षु सव॑ने मादय॒स्वोप॒ ब्रह्मा॑णि शृणव इ॒मा नः॑ ॥ (२)
हे महान् एवं शक्तिशाली इंद्र! तुम स्तुतियों को सुनते हुए अपने घोड़ों की सहायता से शीघ्र हमारी ओर आओ. तुम इस यज्ञ में भली प्रकार प्रमुदित बनो एवं हमारी इन स्तुतियों को सुनो. (२)
O great and mighty Indra! Listen to the praises and come to us quickly with the help of your horses. Be well-merried in this yajna and listen to these praises of Ours. (2)