ऋग्वेद (मंडल 7)
या वा॑ ते॒ सन्ति॑ दा॒शुषे॒ अधृ॑ष्टा॒ गिरो॑ वा॒ याभि॑र्नृ॒वती॑रुरु॒ष्याः । ताभि॑र्नः सूनो सहसो॒ नि पा॑हि॒ स्मत्सू॒रीञ्ज॑रि॒तॄञ्जा॑तवेदः ॥ (८)
हे बलपुत्र जातवेद एवं दानशील अग्नि! तुम अपनी शिखाओं एवं संतानयुक्त प्रजाओं की रक्षा करने वाले वचनों द्वारा हमारी रक्षा करो तथा प्रशंसनीय हव्य देने वाले स्तोताओं की रक्षा करो. (८)
O balputra jatveda and danshil agni! Protect us with words that protect your crests and progeny, and protect the hymns who give praiseworthy words. (8)