हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.32.8

मंडल 7 → सूक्त 32 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
सु॒नोता॑ सोम॒पाव्ने॒ सोम॒मिन्द्रा॑य व॒ज्रिणे॑ । पच॑ता प॒क्तीरव॑से कृणु॒ध्वमित्पृ॒णन्नित्पृ॑ण॒ते मयः॑ ॥ (८)
हे सेवको! तुम सोम पीने वाले एवं वज्रधारी इंद्र के लिए सोम निचोड़ो, इंद्र को तृप्त करने के लिए पुरोडाश पकाओ एवं इद्र के प्रिय कर्त्तव्य कर्म करो. इंद्र यजमान को सुख देते हुए हव्य को पूरा करते हैं. (८)
O servants! You squeeze the soma for the soo drinker and the vajradhari Indra, cook the purodash to satisfy indra and do the duties of edra's beloved. Indra fulfills the havya by giving happiness to the host. (8)