ऋग्वेद (मंडल 7)
या आपो॑ दि॒व्या उ॒त वा॒ स्रव॑न्ति ख॒नित्रि॑मा उ॒त वा॒ याः स्व॑यं॒जाः । स॒मु॒द्रार्था॒ याः शुच॑यः पाव॒कास्ता आपो॑ दे॒वीरि॒ह माम॑वन्तु ॥ (२)
जो जल अंतरिक्ष से उत्पन्न होते हैं, नदी के रूप में बहते हैं, जो खोद कर निकाले जाते हैं अथवा जो अपने आप उत्पन्न होकर सागर की ओर गति करते हैं, जो दीप्तियुक्त एवं पवित्र करने वाले हैं, वे देवीरूप जल यहां हमारी रक्षा करें. (२)
The water that originates from space, flows in the form of rivers, which is dug out, or which is produced on its own and moves towards the ocean, which is glistening and sanctifying, those goddesses of water to protect us here. (2)