ऋग्वेद (मंडल 7)
यासां॒ राजा॒ वरु॑णो॒ याति॒ मध्ये॑ सत्यानृ॒ते अ॑व॒पश्य॒ञ्जना॑नाम् । म॒धु॒श्चुतः॒ शुच॑यो॒ याः पा॑व॒कास्ता आपो॑ दे॒वीरि॒ह माम॑वन्तु ॥ (३)
जिन जलों के राजा वरुण अपनी जलरूपी प्रजाओं में सत्य एवं मिथ्या को जानते हुए मध्यम लोक में जाते हैं, वे मधुरस बरसाने वाली, दीप्तियुक्त एवं पवित्र करने वाली जलरूपी देवियां यहां हमारी सदा रक्षा करें. (३)
The water kings of which Varuna goes to the middle people knowing the truth and falsehood in his water-like people, may the water-like goddesses who shower the sweet, the radiant and the sanctifying, always protect us here. (3)