हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.59.4

मंडल 7 → सूक्त 59 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 59
न॒हि व॑ ऊ॒तिः पृत॑नासु॒ मर्ध॑ति॒ यस्मा॒ अरा॑ध्वं नरः । अ॒भि व॒ आव॑र्त्सुम॒तिर्नवी॑यसी॒ तूयं॑ यात पिपीषवः ॥ (४)
हे नेता मरुतो! जिसे तुम अभिलषित धन देते हो, उसे तुम्हारी रक्षा युद्ध में शत्रुओं से चाहती है. तुम्हारी नवीन कृपा हमारे सामने आवे. हे सोमपान के अभिलाषी मरुतो! तुम जल्दी आओ. (४)
O leader Maruto! To whom you give the money you have received, your protection wants from enemies in war. May your new grace come before us. O Maruto, the desire of Somapan! You come quickly. (4)