ऋग्वेद (मंडल 7)
आ च॑ नो ब॒र्हिः सद॑तावि॒ता च॑ नः स्पा॒र्हाणि॒ दात॑वे॒ वसु॑ । अस्रे॑धन्तो मरुतः सो॒म्ये मधौ॒ स्वाहे॒ह मा॑दयाध्वै ॥ (६)
हे मरुतो! हमारे कुशों पर बैठो. तुम हमारा चाहा हुआ धन देने के लिए हमारे समीप आओ. इस यज्ञ में तुम मदकारक सोमरस को स्वाहा कहकर पिओ और प्रमुदित बनो. (६)
O Maruto! Sit on our cushions. Come near us to give us the money we want. In this yajna, you should drink the madkari somras as swaha and become merry. (6)