ऋग्वेद (मंडल 7)
प्रति॑ वां॒ रथं॑ नृपती ज॒रध्यै॑ ह॒विष्म॑ता॒ मन॑सा य॒ज्ञिये॑न । यो वां॑ दू॒तो न धि॑ष्ण्या॒वजी॑ग॒रच्छा॑ सू॒नुर्न पि॒तरा॑ विवक्मि ॥ (१)
हे ऋत्विज् व यजमानरूपी मनुष्यों के स्वामी अश्चिनीकुमारो! हम हव्य एवं स्तोत्र लेकर तुम्हारे रथ की स्तुति करने जाते हैं. हे स्तुतियोग्य अश्विनीकुमारो! जैसे पुत्र पिता को जगाता है, उसी प्रकार दूतरूप में जगाने वाले तुम्हारे रथ को अपने सामने आने के लिए मैं स्तुति करता हूं. (१)
O Aschinikumaro, lord of the host of men! We go with a greeting and hymn to praise your chariot. O praiseworthy Ashwinikumaro! Just as the Son awakens the Father, so I praise your chariot that awakens in the form of a messenger to come before me. (1)
ऋग्वेद (मंडल 7)
अशो॑च्य॒ग्निः स॑मिधा॒नो अ॒स्मे उपो॑ अदृश्र॒न्तम॑सश्चि॒दन्ताः॑ । अचे॑ति के॒तुरु॒षसः॑ पु॒रस्ता॑च्छ्रि॒ये दि॒वो दु॑हि॒तुर्जाय॑मानः ॥ (२)
अग्नि हमारे द्वारा प्रज्वलित होकर प्रकाशित होते हैं, वे लोग अंधकार वाले भागों को भी देखते हैं. ज्ञापन करने वाले सूर्य उषा वाली पूर्व दिशा में शोभा के लिए उदित होते हैं एवं लोग उन्हें देखते हैं. (२)
The agnis are ignited by us and they also see the parts of darkness. The memomakers rise to the east of The Sun Usha for shobha and people see them. (2)
ऋग्वेद (मंडल 7)
अ॒भि वां॑ नू॒नम॑श्विना॒ सुहो॑ता॒ स्तोमैः॑ सिषक्ति नासत्या विव॒क्वान् । पू॒र्वीभि॑र्यातं प॒थ्या॑भिर॒र्वाक्स्व॒र्विदा॒ वसु॑मता॒ रथे॑न ॥ (३)
हे शोभन होता एवं स्तुति बोलने वाले अश्विनीकुमारो! हम स्तुतिसमूहों द्वारा तुम्हारी सेवा करते हैं. तुम जल को जानने वाले एवं धनयुक्त रथ पर चढ़कर प्रचलित मार्ग द्वारा आओ. (३)
It would have been soobhan and Ashwinikumaro who spoke praise! We serve you through praise groups. You come on a chariot that knows the water and is rich and by the way of the prevailing path. (3)
ऋग्वेद (मंडल 7)
अ॒वोर्वां॑ नू॒नम॑श्विना यु॒वाकु॑र्हु॒वे यद्वां॑ सु॒ते मा॑ध्वी वसू॒युः । आ वां॑ वहन्तु॒ स्थवि॑रासो॒ अश्वाः॒ पिबा॑थो अ॒स्मे सुषु॑ता॒ मधू॑नि ॥ (४)
हे रक्षक एवं मधुविद्या कुशल अश्चिनीकुमारो! जब तुम्हारी अभिलाषा से सोमरस निचुड़ जाता है तब मैं धन की इच्छा से तुम्हारी स्तुति करता हूं. तुम्हारे स्वस्थ घोड़े तुम्हें यहां लावें. तुम हमारे द्वारा भली प्रकार निचोड़े गए सोमरस को पिओ. (४)
O protector and master of honey, Aschinikumaro! When someras are dispelled by your desire, I praise you with the desire for wealth. May your healthy horses bring you here. You drink the somras well squeezed by us. (4)
ऋग्वेद (मंडल 7)
प्राची॑मु देवाश्विना॒ धियं॒ मेऽमृ॑ध्रां सा॒तये॑ कृतं वसू॒युम् । विश्वा॑ अविष्टं॒ वाज॒ आ पुरं॑धी॒स्ता नः॑ शक्तं शचीपती॒ शची॑भिः ॥ (५)
हे अश्चिनीकुमारो! तुम हमारी सरला, अपराजित एवं धन चाहने वाली बुद्धि को लाभ के लिए उचित बनाओ. संग्राम में भी हमारी बुद्धि की रक्षा करो. हे यज्ञपालक अश्चिनीकुमारो! हमारे कमो के द्वारा हमें धन दो. (५)
O aschinikumaro! You make our simple, undefeated and wealth-seeking wisdom justified for profit. Protect our intellects even in the struggle. O yajnapalaka ashinikumaro! Give us money through our come. (5)
ऋग्वेद (मंडल 7)
अ॒वि॒ष्टं धी॒ष्व॑श्विना न आ॒सु प्र॒जाव॒द्रेतो॒ अह्र॑यं नो अस्तु । आ वां॑ तो॒के तन॑ये॒ तूतु॑जानाः सु॒रत्ना॑सो दे॒ववी॑तिं गमेम ॥ (६)
हे अश्विनीकुमार! इन यज्ञकर्मो में हमारी रक्षा करो. हमारा वीर्य क्षीणतारहित एवं संतान उत्पन्न करने योग्य हो. अपने पुत्रों एवं पौत्रों को मनचाहा धन देते हुए हम शोभनरत्न लाभ करें एवं देवों को प्राप्त करके यज्ञ में आवें. (६)
O Ashwinikumar! Protect us in these yagyakarmas. Our semen is debilitating and child-bearing. By giving the desired money to our sons and grandsons, let us do shobhanaratna benefits and get the gods and come to the yagna. (6)
ऋग्वेद (मंडल 7)
ए॒ष स्य वां॑ पूर्व॒गत्वे॑व॒ सख्ये॑ नि॒धिर्हि॒तो मा॑ध्वी रा॒तो अ॒स्मे । अहे॑ळता॒ मन॒सा या॑तम॒र्वाग॒श्नन्ता॑ ह॒व्यं मानु॑षीषु वि॒क्षु ॥ (७)
हे मधुप्रिय अश्विनीकुमारो! जिस प्रकार दूत मित्र के स्वागत के लिए आगे चलता है, उसी प्रकार यह सोमरूपी निधि हमारे द्वारा तुम्हारे लिए संकल्पित है. क्रोधरहित मन से हमारे सामने आओ एवं मानवी प्रजाओं में वर्तमान हव्य को खाओ. (७)
O madhupriya ashwinikumaro! Just as the messenger goes forward to welcome the friend, so this Somaroopi fund is resolved by us for you. Come before us with an unruly heart and eat the present human being in human beings. (7)
ऋग्वेद (मंडल 7)
एक॑स्मि॒न्योगे॑ भुरणा समा॒ने परि॑ वां स॒प्त स्र॒वतो॒ रथो॑ गात् । न वा॑यन्ति सु॒भ्वो॑ दे॒वयु॑क्ता॒ ये वां॑ धू॒र्षु त॒रण॑यो॒ वह॑न्ति ॥ (८)
हे भरण-पोषण करने वाले अश्चिनीकुमारो! जब तुम एक स्थान पर मिलते हो तो तुम्हारा रथ सात नदियों के पार जाता है. शोभनजन्म वाले एवं दिव्यशक्ति से युक्त तुम्हारे घोड़े तुम्हारे रथ को तेजी से खींचते हैं और कभी नहीं थकते. (८)
O aschinikumaro who sustains! When you meet at one place, your chariot crosses seven rivers. Your horses with adornment and divine power pull your chariot fast and never get tired. (8)