हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.70.3

मंडल 7 → सूक्त 70 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 70
यानि॒ स्थाना॑न्यश्विना द॒धाथे॑ दि॒वो य॒ह्वीष्वोष॑धीषु वि॒क्षु । नि पर्व॑तस्य मू॒र्धनि॒ सद॒न्तेषं॒ जना॑य दा॒शुषे॒ वह॑न्ता ॥ (३)
हे अश्चिनीकुमारो! तुम स्वर्ग लोक से आकर विशाल ओषधियों एवं प्रजाओं में जो स्थान धारण करते हो, उसे हव्यदाता यजमान को दो और स्वयं पर्वत की चोटी पर स्थित बनो. (३)
O aschinikumaro! Come from heaven and give to the host of the human being and be yourself on top of the mountain, the place that you occupy among the great medicines and people. (3)