हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.86.4

मंडल 7 → सूक्त 86 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 86
किमाग॑ आस वरुण॒ ज्येष्ठं॒ यत्स्तो॒तारं॒ जिघां॑ससि॒ सखा॑यम् । प्र तन्मे॑ वोचो दूळभ स्वधा॒वोऽव॑ त्वाने॒ना नम॑सा तु॒र इ॑याम् ॥ (४)
हे वरुण! मेरा ऐसा क्या महान्‌ अपराध है कि तुम मेरे मित्र स्तोता को मारना चाहते हो? हे अपराजेय एवं तेजस्वी वरुण! मुझे वह अपराध बताओ जिससे मैं उसका प्रायश्चित्त करके निरपराध बनूं एवं नमस्कार के साथ शीघ्र तुम्हारे समीप आऊं. (४)
Hey Varun! What is my great crime that you want to kill my friend Stota? O unbeatable and stunning Varun! Tell me the crime so that I may atone for him and become innocent and come to you quickly with greetings. (4)