ऋग्वेद (मंडल 7)
मो षु व॑रुण मृ॒न्मयं॑ गृ॒हं रा॑जन्न॒हं ग॑मम् । मृ॒ळा सु॑क्षत्र मृ॒ळय॑ ॥ (१)
हे स्वामी वरुण! मैं तुम्हारे द्वारा दिया हुआ मिट्टी का घर प्राप्त न करूं, हे शोभनधन वाले वरुण! मुझे सुखी बनाओ एवं मुझ पर दया करो. (१)
O Swami Varun! I will not get the house of clay you have given me, O Varuna of Shobhandhan! Make me happy and have mercy on me. (1)