हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.93.2

मंडल 7 → सूक्त 93 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 93
ता सा॑न॒सी श॑वसाना॒ हि भू॒तं सा॑कं॒वृधा॒ शव॑सा शूशु॒वांसा॑ । क्षय॑न्तौ रा॒यो यव॑सस्य॒ भूरेः॑ पृ॒ङ्क्तं वाज॑स्य॒ स्थवि॑रस्य॒ घृष्वेः॑ ॥ (२)
हे सबके द्वारा सेवनीय इंद्र एवं अग्नि! तुम बल के समान शत्रुनाश करो. तुम एक साथ उन्नति करते हुए, बल द्वारा बढ़ते हुए एवं अधिक धन के स्वामी हो. तुम हमें शत्रुविनाशक एवं स्थूल अन्न दो. (२)
O Indra and Agni consumed by all! You annihilate the enemy like force. You are the master of more wealth, growing together, growing by force and more wealth. You give us anti-enemy and gross food. (2)