ऋग्वेद (मंडल 8)
आ त्व१॒॑द्य स॑ब॒र्दुघां॑ हु॒वे गा॑य॒त्रवे॑पसम् । इन्द्रं॑ धे॒नुं सु॒दुघा॒मन्या॒मिष॑मु॒रुधा॑रामरं॒कृत॑म् ॥ (१०)
आज मैं दूध देने वाली, प्रशंसनीय चाल वाली एवं सरलता से दुहने योग्य इंद्ररूपी गाय की स्तुति करता हूं. इसके अतिरिक्त वह गाय उदकरूपी अनेक धाराओं वाली एवं मनचाही वर्षा करने वाली है. (१०)
Today, I praise the milking, praiseworthy, and easily milky rainbow cow. In addition, the cow is a rising and rainy-like one with many streams. (10)