हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.1.3

मंडल 8 → सूक्त 1 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 1
यच्चि॒द्धि त्वा॒ जना॑ इ॒मे नाना॒ हव॑न्त ऊ॒तये॑ । अ॒स्माकं॒ ब्रह्मे॒दमि॑न्द्र भूतु॒ तेऽहा॒ विश्वा॑ च॒ वर्ध॑नम् ॥ (३)
हे इंद्र! ये लोग यद्यपि अपनी रक्षा के लिए तुम्हारी भांति-भांति से स्तुतियां करते हैं परंतु हमारा यह स्तोत्र तुम्हारा सदैव वृद्धिकारक हो. (३)
O Indra! Although these people praise you in a way for their protection, this hymn of ours is always yours of growth. (3)