ऋग्वेद (मंडल 8)
ये ते॒ सन्ति॑ दश॒ग्विनः॑ श॒तिनो॒ ये स॑ह॒स्रिणः॑ । अश्वा॑सो॒ ये ते॒ वृष॑णो रघु॒द्रुव॒स्तेभि॑र्न॒स्तूय॒मा ग॑हि ॥ (९)
हे इंद्र! तुम्हारे जो दश योजन चलने वाले सौ एवं एक हजार घोड़े हैं, वे अभिलाषापूरक एवं शीघ्रगामी हैं. उन घोड़ों की सहायता से यहां शीघ्र आओ. (९)
O Indra! The hundred and one thousand horses that you have to ride on are wishful and fast-moving. Come here quickly with the help of those horses. (9)