हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.14.15

मंडल 8 → सूक्त 14 → श्लोक 15 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 14
अ॒सु॒न्वामि॑न्द्र सं॒सदं॒ विषू॑चीं॒ व्य॑नाशयः । सो॒म॒पा उत्त॑रो॒ भव॑न् ॥ (१५)
हे सोमपानकर्ता इंद्र! तुमने अत्यंत उत्कृष्ट होकर सोमरस न निचोड़ने वाले लोगों को परस्पर विरोध द्वारा निर्बल बनाकर समाप्त किया. (१५)
O Sompanaker Indra! You have excelled and ended the people who do not squeeze the Somras by making them weak by mutual opposition. (15)