ऋग्वेद (मंडल 8)
यद्वा॑भिपि॒त्वे अ॑सुरा ऋ॒तं य॒ते छ॒र्दिर्ये॒म वि दा॒शुषे॑ । व॒यं तद्वो॑ वसवो विश्ववेदस॒ उप॑ स्थेयाम॒ मध्य॒ आ ॥ (२०)
हे बुद्धिसंपन्न, समस्त धन के स्वामी एवं निवासस्थान देने वाले देवो! इस यज्ञ में तुम्हारे आने के उद्देश्य से हवि देने वाले एवं यज्ञ की ओर जाने वाले यजमान को तुम घर देते हो तो हम तुम्हारे उसी कल्याणकारी घर में तुम्हारी पूजा करेंगे. (२०)
O wise, lord of all wealth and the gods who give abodes! If you give a house to the host who gives havi and who goes towards the yajna for the purpose of your coming to this yajna, then we will worship you in the same welfare house of yours. (20)