हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.29.7

मंडल 8 → सूक्त 29 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 29
त्रीण्येक॑ उरुगा॒यो वि च॑क्रमे॒ यत्र॑ दे॒वासो॒ मद॑न्ति ॥ (७)
बहुतों की स्तुति के पात्र विष्णु ने अकेले ही तीन चरणों से सभी भुवनों में गमन किया था. इन लोगों में देव प्रसन्न होते हैं. (७)
The object of praise of many, Vishnu had single-handedly walked through all the Bhuvanas by three stages. God is pleased in these people. (7)