हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.32.3

मंडल 8 → सूक्त 32 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
न्यर्बु॑दस्य वि॒ष्टपं॑ व॒र्ष्माणं॑ बृह॒तस्ति॑र । कृ॒षे तदि॑न्द्र॒ पौंस्य॑म् ॥ (३)
हे इंद्र! महान्‌ मेघ के जलावरोधक स्थान में छेद करो एवं यह वीरतापूर्ण कार्य पूरा करो. (3)
O Indra! Make a hole in the waterproof place of the Great Cloud and complete this heroic act. (3)