हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
एन्द्र॑ याहि॒ हरि॑भि॒रुप॒ कण्व॑स्य सुष्टु॒तिम् । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (१)
हे इंद्र! तुम अपने हरि नामक घोड़ों के द्वारा कण्वगोत्रीय ऋषियों की सुंदर स्तुति के सामने आओ. हे दीप्तहवि वाले इंद्र! तुम झुलोक का शासन करते हो, इसलिए द्युलोक में जाओ. (१)
O Indra! You come out in front of the beautiful praise of the Kanvagotriya sages through your horses called Hari. O Indra of Deepthahavi! You rule the jhuloka, so go to Duloka. (1)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
आ त्वा॒ ग्रावा॒ वद॑न्नि॒ह सो॒मी घोषे॑ण यच्छतु । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (२)
हे इंद्र! इस यज्ञ में सोमलता कुचलने के पत्थर तुम्हें सोम वाला कहते हुए तुम्हारे लिए सोम दें. हे दीप्त हवि वाले इंद्र! तुम ्युलोक का शासन करते हो, इसलिए झुलोक में जाओ. (२)
O Indra! In this yajna, the stones of crushing somlata give you som for you by calling you som wala. O indra of the bright soul! You rule the Yuloka, so go to the jhuloka. (2)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
अत्रा॒ वि ने॒मिरे॑षा॒मुरां॒ न धू॑नुते॒ वृकः॑ । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (३)
इस यज्ञ में सोमलता कुचलने वाले पत्थर सोमलता को इस प्रकार कंपित करते हैं, जिस प्रकार भेड़िया भेड़ को कंपाता है. हे दीप्त हवि वाले इंद्र! तुम द्युलोक का शासन करते हो, इसलिए द्युलोक में जाओ. (३)
In this yajna, the stones that crush somalta vibrate in such a way that the wolf vibrates the sheep. O indra of the bright soul! You rule the dulok, so go to dulok. (3)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
आ त्वा॒ कण्वा॑ इ॒हाव॑से॒ हव॑न्ते॒ वाज॑सातये । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (४)
हे इंद्र! कण्वगोत्रीय ऋषि तुम्हें रक्षा एवं अन्न पाने के लिए इस यज्ञ में बुलाते हैं. हे दीप्त हवि वाले इंद्र! तुम झुलोक का शासन करते हो, इसलिए द्युलोक में जाओ. (४)
O Indra! The sage Kanvagotriya invites you to this yagna to get protection and food. O indra of the bright soul! You rule the jhuloka, so go to Duloka. (4)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
दधा॑मि ते सु॒तानां॒ वृष्णे॒ न पू॑र्व॒पाय्य॑म् । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (५)
हे इंद्र! यज्ञ के प्रारंभ में जिस प्रकार अभिलाषापूरक वायु को सोमरस दिया जाता है, उसी प्रकार तुम्हें निचोड़ा हुआ सोमरस मैं दूंगा. हे दीप्त हवि वाले इंद्र! तुम झुलोक का शासन करते हो, इसलिए झुलोक में जाओ. (५)
O Indra! At the beginning of the yajna, just as the somarous is given to the desirous air, i will give you the squeezed somras. O indra of the bright soul! You rule the jhuloka, so go to the jhullok. (5)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
स्मत्पु॑रंधिर्न॒ आ ग॑हि वि॒श्वतो॑धीर्न ऊ॒तये॑ । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (६)
हे स्वर्ग कुटुंबी इंद्र! तुम हमारे पास आओ. हे विश्वरक्षक इंद्र! हमारी रक्षा के लिए आओ. हे दीप्त हवि वाले इंद्र! तुम झ्ुलोक का शासन करते हो इसलिए द्युलोक में जाओ. (६)
O heavenly family Indra! You come to us. O worldguard Indra! Come to our defense. O indra of the bright soul! You rule the zoo, so go to Dulok. (6)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
आ नो॑ याहि महेमते॒ सह॑स्रोते॒ शता॑मघ । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (७)
हे महाबुद्धिशाली, हजार रक्षासाधनों वाले तथा अधिक धनयुक्त इंद्र! तुम हमारे समीप आओ. हे दीप्त हवि वाले इंद्र! तुम झुलोक का शासन करते हो, इसलिए द्युलोक में जाओ. (७)
O the mighty, the mighty, the one with a thousand defenses and the richer Indra! You come close to us. O indra of the bright soul! You rule the jhuloka, so go to Duloka. (7)

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
आ त्वा॒ होता॒ मनु॑र्हितो देव॒त्रा व॑क्ष॒दीड्यः॑ । दि॒वो अ॒मुष्य॒ शास॑तो॒ दिवं॑ य॒य दि॑वावसो ॥ (८)
हे इंद्र! देवताओं में स्तुति योग्य देवों को बुलाने वाला एवं मनुष्यों द्वारा गृह में स्थापित अन्न तुम्हें अन्न वहन करे. हे दीप्त हवि वाले इंद्र! तुम ्ुलोक का शासन करते हो, इसलिए द्युलोक में जाओ. (८)
O Indra! May the food that is called to the gods worthy of praise among the gods and the food installed in the house by humans bear your food. O Indra of deepta havi! You rule the world, so go to dulok. (8)
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