हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.39.9

मंडल 8 → सूक्त 39 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 39
अ॒ग्निस्त्रीणि॑ त्रि॒धातू॒न्या क्षे॑ति वि॒दथा॑ क॒विः । स त्रीँरे॑काद॒शाँ इ॒ह यक्ष॑च्च पि॒प्रय॑च्च नो॒ विप्रो॑ दू॒तः परि॑ष्कृतो॒ नभ॑न्तामन्य॒के स॑मे ॥ (९)
क्रांतदर्शी एवं धरती आदि तीन स्थानों में रहने वाले अग्नि देवों के दूत, प्राज्ञ एवं अलंकृत होकर इस यज्ञ में तेंतीस देवों का यजन करें एवं हमारी अभिलाषा पूरी करें. अग्नि सभी शत्रुओं को मारें. (९)
The messengers of the agni gods living in the three places of krantadarshi and earth, be enlightened and decorated and worship thirty-three gods in this yajna and fulfill our desire. Fire kill all enemies. (9)