हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.45.18

मंडल 8 → सूक्त 45 → श्लोक 18 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 45
यच्छु॑श्रू॒या इ॒मं हवं॑ दु॒र्मर्षं॑ चक्रिया उ॒त । भवे॑रा॒पिर्नो॒ अन्त॑मः ॥ (१८)
हे इंद्र! हमारी यह पुकार सुनो, अपना बल शत्रुओं के लिए असहनीय बनाओ एवं हमारे सर्वाधिक बंधु बनो. (१८)
O Indra! Listen to our call, make your strength unbearable to our enemies and be our most brothers. (18)