हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.45.9

मंडल 8 → सूक्त 45 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 45
अ॒स्माकं॒ सु रथं॑ पु॒र इन्द्रः॑ कृणोतु सा॒तये॑ । न यं धूर्व॑न्ति धू॒र्तयः॑ ॥ (९)
वे इंद्र हमें अभीष्ट फल देने के लिए अपना सुंदर रथ हमारे सामने स्थापित करें, जिनकी हिंसा हिंसक भी न कर सकें. (९)
May those Indras set up their beautiful chariots in front of us to give us the desired fruits, whose violence cannot be violent. (9)