ऋग्वेद (मंडल 8)
स्वा॒दोर॑भक्षि॒ वय॑सः सुमे॒धाः स्वा॒ध्यो॑ वरिवो॒वित्त॑रस्य । विश्वे॒ यं दे॒वा उ॒त मर्त्या॑सो॒ मधु॑ ब्रु॒वन्तो॑ अ॒भि सं॒चर॑न्ति ॥ (१)
शोभन-बुद्धि एवं अध्ययन से युक्त मैं अत्यंत पूजा प्राप्त करने वाले एवं स्वादिष्ट अन्न का भक्षण कर सकूं. विश्वेदेव एवं सभी मनुष्य उस अन्न को मधु कहते हुए घूमते हैं. (१)
With a lot of wisdom and study, I can eat highly worshiped and delicious food. Vishwedev and all human beings roam around calling that grain honey. (1)
ऋग्वेद (मंडल 8)
अ॒न्तश्च॒ प्रागा॒ अदि॑तिर्भवास्यवया॒ता हर॑सो॒ दैव्य॑स्य । इन्द॒विन्द्र॑स्य स॒ख्यं जु॑षा॒णः श्रौष्टी॑व॒ धुर॒मनु॑ रा॒य ऋ॑ध्याः ॥ (२)
हे सोम! तुम हृदय के भीतर गमन करने वाले, दीनतारहित एवं देवों का क्रोध दूर करने वाले हो. हे सोम! तुम इंद्र की मित्रता प्राप्त करके शीघ्र आकर उसी प्रकार हमारा धन वहन करो, जिस प्रकार घोड़ा बोझा ढोता है. (२)
O Mon! You are the one who moves within the heart, without humility and removes the anger of the gods. O Mon! After getting the friendship of Indra, come quickly and bear our money in the same way as the horse carries the burden. (2)
ऋग्वेद (मंडल 8)
अपा॑म॒ सोम॑म॒मृता॑ अभू॒माग॑न्म॒ ज्योति॒रवि॑दाम दे॒वान् । किं नू॒नम॒स्मान्कृ॑णव॒दरा॑तिः॒ किमु॑ धू॒र्तिर॑मृत॒ मर्त्य॑स्य ॥ (३)
हे मरणरहित सोम! हम तुम्हें पीकर अमर बनेंगे, स्वर्ग में जाएंगे एवं देवों को प्राप्त करेंगे. शत्रु हमारा क्या कर लेगा? मुझ मनुष्य का हिंसक शत्रु क्या बिगाड़ लेगा. (३)
O mortal Mon! We will make you immortal by drinking, we will go to heaven and receive the gods. What will the enemy do to us? What will the violent enemy of My man do wrong? (3)
ऋग्वेद (मंडल 8)
शं नो॑ भव हृ॒द आ पी॒त इ॑न्दो पि॒तेव॑ सोम सू॒नवे॑ सु॒शेवः॑ । सखे॑व॒ सख्य॑ उरुशंस॒ धीरः॒ प्र ण॒ आयु॑र्जी॒वसे॑ सोम तारीः ॥ (४)
हे सोम! पीने के पश्चात् तुम हृदय के उसी प्रकार सुखदाता बनो, जिस प्रकार पिता पुत्र को सुख पहुंचाता है. तुम इस प्रकार सुखदाता बनो, जिस प्रकार मित्र मित्र को सुख देता है. हे अनेक जनों द्वारा प्रशंसित धीर सोम! जीवन के लिए हमारी आयु बढ़ाओ. (४)
Hey Mon! After drinking, be the comforters of the heart in the same way that the Father brings happiness to the Son. Be the giver of happiness in this way, just as a friend gives happiness to a friend. O Dhir Som, admired by many people! Raise our lifespan for life. (4)
ऋग्वेद (मंडल 8)
इ॒मे मा॑ पी॒ता य॒शस॑ उरु॒ष्यवो॒ रथं॒ न गावः॒ सम॑नाह॒ पर्व॑सु । ते मा॑ रक्षन्तु वि॒स्रस॑श्च॒रित्रा॑दु॒त मा॒ स्रामा॑द्यवय॒न्त्विन्द॑वः ॥ (५)
यह पिए हुए, यशकारक एवं रक्षण के इच्छुक सोम मुझे इस प्रकार यज्ञकर्मो से बांध दें, जिस प्रकार बधिया बैल रस्सी की गांठों द्वारा रथ से बंधा रहता है. सोम मुझे भ्रष्ट चरित्र से बचावें एवं व्यभिचार से दूर करें. (५)
This drunk, successful and willing to protect Mon binds me to the yagnakarmas in such a way that the badhiya bull is tied to the chariot by rope rope ropes. Mon protect me from corrupt character and remove me from adultery. (5)
ऋग्वेद (मंडल 8)
अ॒ग्निं न मा॑ मथि॒तं सं दि॑दीपः॒ प्र च॑क्षय कृणु॒हि वस्य॑सो नः । अथा॒ हि ते॒ मद॒ आ सो॑म॒ मन्ये॑ रे॒वाँ इ॑व॒ प्र च॑रा पु॒ष्टिमच्छ॑ ॥ (६)
हे सोम! पीने के बाद तुम मुझे मथित अग्नि के समान भली प्रकार दीप्त करो, भली प्रकार देखो एवं अतिशय धनशाली बनाओ. मैं तुम्हारे मद के लिए स्तुति करता हूं. तुम धनवान् बनकर पुष्ट बनो. (६)
Hey Mon! After you have drunk, let me shine well like a churned agni, and look well and make me very rich. I praise you for your item. You become rich and be strong. (6)
ऋग्वेद (मंडल 8)
इ॒षि॒रेण॑ ते॒ मन॑सा सु॒तस्य॑ भक्षी॒महि॒ पित्र्य॑स्येव रा॒यः । सोम॑ राज॒न्प्र ण॒ आयूं॑षि तारी॒रहा॑नीव॒ सूर्यो॑ वास॒राणि॑ ॥ (७)
हम अभिलाषापूर्ण मन से निचोड़े हुए सोमरस को पैतृक धन के समान प्रयोग में लाएंगे. हे राजा सोम! हमारी आयु इस प्रकार बढ़ाओ, जिस प्रकार सूर्य दिनों को बढ़ाते हैं. (७)
We will put the sobriquet-squeezed somras with a desireful mind to use it as ancestral wealth. O King Mon! Increase our lifespan in this way, just as the sun increases the days. (7)
ऋग्वेद (मंडल 8)
सोम॑ राजन्मृ॒ळया॑ नः स्व॒स्ति तव॑ स्मसि व्र॒त्या॒३॒॑स्तस्य॑ विद्धि । अल॑र्ति॒ दक्ष॑ उ॒त म॒न्युरि॑न्दो॒ मा नो॑ अ॒र्यो अ॑नुका॒मं परा॑ दाः ॥ (८)
हे राजा सोम! हमें विनाशरहित बनाने के लिए सुखी करो. व्रतधारी हम तुम्हारे ही हैं, इसे जानो. हे इंद्र! हमारा शत्रु क्रोध में भरा हुआ एवं वृद्धि प्राप्त करके जा रहा है. इसके क्रोध से हमारा उद्धार करो. (८)
O King Mon! Make us happy to make us without destruction. We are yours, know it. O Indra! Our enemy is full of anger and is going to get a rise. Save us from its wrath. (8)