हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.48.10

मंडल 8 → सूक्त 48 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 48
ऋ॒दू॒दरे॑ण॒ सख्या॑ सचेय॒ यो मा॒ न रिष्ये॑द्धर्यश्व पी॒तः । अ॒यं यः सोमो॒ न्यधा॑य्य॒स्मे तस्मा॒ इन्द्रं॑ प्र॒तिर॑मे॒म्यायुः॑ ॥ (१०)
मैं उदर को बाधा न पहुंचाने वाले सखा सोम से मिलूंगा. पिए हुए सोम मेरी हिंसा न करें. हे हरि नामक अश्चों वाले इंद्र! मैं याचना करता हूं कि पिया हुआ सोम चिरकाल तक हमारे उदर में रहे. (१०)
I will meet Sakha Som who does not obstruct the stomach. Don't let the drunk mon do my violence. O Indra with tears called Hari! I beg that the piya hua mon stay in our stomach for eternity. (10)