हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.59.4

मंडल 8 → सूक्त 59 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 59
अषा॑ळ्हमु॒ग्रं पृत॑नासु सास॒हिं यस्मि॑न्म॒हीरु॑रु॒ज्रयः॑ । सं धे॒नवो॒ जाय॑माने अनोनवु॒र्द्यावः॒ क्षामो॑ अनोनवुः ॥ (४)
मैं दूसरों के लिए असहनीय, उग्र व शत्रु सेनाओं को पराजित करने वाले इंद्र की स्तुति करता हूं. इंद्र के जन्म के समय विशाल एवं वेगशालिनी गायों ने, ह्युलोक तथा धरती ने स्तुति की थी. (४)
I praise Indra, who has defeated the unbearable, fierce and hostile armies for others. At the time of Indra's birth, the giant and vegetative cows, The Hulok and the earth had praised him. (4)