हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.6.40

मंडल 8 → सूक्त 6 → श्लोक 40 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 6
वावृधान उप द्यवि वृषा वञ्रयरोरवीत्‌. वृत्रहा सोमपातमः. (४०)
अतिशय वृद्धिप्राप्त, अभिलाषापूरक, वञ्जधारी, सोमरस पीने वालों में उत्तम एवं वृत्रनाशक इंद्र झ्ुलोक के समीप भारी शब्द करते हैं. (४०)
The highly-growing, the desireful, the vanjadhari, the somras drink the best and the virtuous indra speaks heavily near the zhulok. (40)