ऋग्वेद (मंडल 8)
न॒हि म॒न्युः पौरु॑षेय॒ ईशे॒ हि वः॑ प्रियजात । त्वमिद॑सि॒ क्षपा॑वान् ॥ (२)
हे प्रिय जन्म वाले अग्नि! पुरुषों का क्रोध तुम्हें बाधा नहीं पहुंचा सकता. तुम ही रात में तेजस्वी हो. (२)
O beloved born agni! The anger of men can't hinder you. You're the only one stunning at night. (2)