हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.61.15

मंडल 8 → सूक्त 61 → श्लोक 15 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 61
उप॒ स्रक्वे॑षु॒ बप्स॑तः कृण्व॒ते ध॒रुणं॑ दि॒वि । इन्द्रे॑ अ॒ग्ना नमः॒ स्वः॑ ॥ (१५)
ज्वाला के द्वारा भक्षण करने वाले अग्नि का अन्न अंतरिक्ष में इंद्र और अग्नि का पोषण करता है. इंद्र एवं अग्नि को हव्य अन्न दो. (१५)
The grain of agni that feeds through flame nourishes Indra and agni in space. Give the food to Indra and Agni. (15)