हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.61.5

मंडल 8 → सूक्त 61 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 61
चर॑न्व॒त्सो रुश॑न्नि॒ह नि॑दा॒तारं॒ न वि॑न्दते । वेति॒ स्तोत॑व अ॒म्ब्य॑म् ॥ (५)
बछड़े के समान इधर-उधर घूमने वाले एवं श्वेत रंग वाले अग्नि को इस संसार में रोकने वाला कोई नहीं मिलता, वे स्तोता के स्तोत्रों की कामना करते हैं. (५)
There is no one in this world to stop the agni that moves around like a calf and has a white color, they wish for hymns of the hymns. (5)