ऋग्वेद (मंडल 8)
अव॑न्त॒मत्र॑ये गृ॒हं कृ॑णु॒तं यु॒वम॑श्विना । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मवः॑ ॥ (७)
हे अश्चिनीकुमारो! तुमने अत्रि की रक्षा के लिए घर बनाया था. तुम्हारी रक्षा हमारे समीप रहे. (७)
O aschinikumaro! You built a house to protect Atri. May your defense be near us. (7)