हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.67.5

मंडल 8 → सूक्त 67 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 67
नकी॒मिन्द्रो॒ निक॑र्तवे॒ न श॒क्रः परि॑शक्तवे । विश्वं॑ श‍ृणोति॒ पश्य॑ति ॥ (५)
शक्तिशाली इंद्र किसी का न तिरस्कार करते हैं और न किसी से पराजित हो सकते हैं. इंद्र संसार को सुनते और देखते हैं. (५)
The mighty Indra does not despise anyone and cannot be defeated by anyone. Indra hears and sees the world. (5)