हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.67.7

मंडल 8 → सूक्त 67 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 67
क्रत्व॒ इत्पू॒र्णमु॒दरं॑ तु॒रस्या॑स्ति विध॒तः । वृ॒त्र॒घ्नः सो॑म॒पाव्नः॑ ॥ (७)
शीघ्रता करने वाले, वृत्रनाशक एवं सोमरस पीने वाले इंद्र का उदर यजमान के यज्ञ से ही पूर्ण है. (७)
The abdomen of Indra, who is quick, anti-virtuous and drinking somras, is full of the yajna of the host. (7)