हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.76.3

मंडल 8 → सूक्त 76 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 76
आ वां॒ विश्वा॑भिरू॒तिभिः॑ प्रि॒यमे॑धा अहूषत । ता व॒र्तिर्या॑त॒मुप॑ वृ॒क्तब॑र्हिषो॒ जुष्टं॑ य॒ज्ञं दिवि॑ष्टिषु ॥ (३)
हे अश्विनीकुमारो! यज्ञ को प्रेम करने वाला यजमान तुम्हें समस्त रक्षासाधनों के साथ बुलाता है. कुश बिछाने वाले यजमान का जो हव्य सब देव स्वीकार करते हैं, उसे स्वीकार करने के लिए तुम प्रातःकाल आओ. (३)
O Ashwinikumaro! The host who loves the yajna calls you with all the protective means. You come in the morning to accept the greetings of the host who laid the Kush, which all the gods accept. (3)