ऋग्वेद (मंडल 8)
इ॒मानि॒ त्रीणि॑ वि॒ष्टपा॒ तानी॑न्द्र॒ वि रो॑हय । शिर॑स्त॒तस्यो॒र्वरा॒मादि॒दं म॒ उपो॒दरे॑ ॥ (५)
हे इंद्र! मेरे पिता के केशरहित शीश, खेत और मेरे उदर के नीचे वाले स्थान इन तीनों को उपजाऊ बनाओ. (५)
O Indra! Make my father's hairless shisha, the farm and the places under my abdomen fertile. (5)