हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.80.7

मंडल 8 → सूक्त 80 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 80
खे रथ॑स्य॒ खेऽन॑सः॒ खे यु॒गस्य॑ शतक्रतो । अ॒पा॒लामि॑न्द्र॒ त्रिष्पू॒त्व्यकृ॑णोः॒ सूर्य॑त्वचम् ॥ (७)
हे सौ यज्ञों वाले इंद्र! तुमने रथ के बड़े छेद, गाड़ी के मंझोले छेद एवं जुए के छेद से निकाल कर अपाला की त्वचा को सूर्य के समान प्रभायुक्त किया. (७)
O Indra of a hundred yagnas! You removed the large holes of the chariot, the middle hole of the car and the gambling hole and made the skin of the doll look like the sun. (7)