ऋग्वेद (मंडल 8)
अरं॒ हि ष्म॑ सु॒तेषु॑ णः॒ सोमे॑ष्विन्द्र॒ भूष॑सि । अरं॑ ते शक्र दा॒वने॑ ॥ (२६)
हे इंद्र! हमारे सोमरस निचुड़ जाने पर तुम उन्हें पीने के लिए पर्याप्त हो. हे दानशील एवं शक्तिशाली इंद्र! सोमरस तुम्हारे लिए पर्याप्त हो. (२६)
O Indra! You're enough to drink them when our somras go to Nikud. O godly and mighty Indra! Somers are enough for you. (26)