हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 8.84.2

मंडल 8 → सूक्त 84 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 8)

ऋग्वेद: | सूक्त: 84
आ त्वा॑ शु॒क्रा अ॑चुच्यवुः सु॒तास॑ इन्द्र गिर्वणः । पिबा॒ त्व१॒॑स्यान्ध॑स॒ इन्द्र॒ विश्वा॑सु ते हि॒तम् ॥ (२)
हे स्तुति योग्य इंद्र! पात्रों को चमकाते हुए एवं हमारे द्वारा निचोड़े गए सोम तुम्हारे पास आवें. तुम इस सोम को पिओ. चारों ओर से चरु-पुरोडाश आदि तुम्हारे समीप आवें. (२)
O praise worthy Indra! Shine the characters and let the mons squeezed by us come to you. You drink this mon. Come to you from all around like charu-purodash etc. (2)