ऋग्वेद (मंडल 8)
प्र दैवो॑दासो अ॒ग्निर्दे॒वाँ अच्छा॒ न म॒ज्मना॑ । अनु॑ मा॒तरं॑ पृथि॒वीं वि वा॑वृते त॒स्थौ नाक॑स्य॒ सान॑वि ॥ (२)
दिवोदास के द्वारा बुलाए हुए अग्नि ने पृथ्वी माता के सामने यज्ञ में देवों के लिए हव्य वहन नहीं किया, क्योंकि दिवोदास ने अग्नि को बलपूर्वक बुलाया था. अग्नि स्वर्ग के ऊंचे स्थान पर ही रहे. (२)
Agni, called by Divodas, did not bear the vow for the gods in the yagna in front of Mother Earth, because Divodas had called agni by force. The agni remained at the highest place of heaven. (2)