हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.106.10

मंडल 9 → सूक्त 106 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 106
सोमः॑ पुना॒न ऊ॒र्मिणाव्यो॒ वारं॒ वि धा॑वति । अग्रे॑ वा॒चः पव॑मानः॒ कनि॑क्रदत् ॥ (१०)
छनते हुए सोम अपनी धारा के रूप में भेड़ के बालों से बने दशापवित्र की ओर जाते हैं एवं स्तोता के सामने भांति-भांति का शब्द करते हैं. (१०)
Sifting, Som goes towards the Dashapavitra made of sheep's hair as his stream and makes a variety of words in front of the hymn. (10)