हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.107.15

मंडल 9 → सूक्त 107 → श्लोक 15 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 107
तर॑त्समु॒द्रं पव॑मान ऊ॒र्मिणा॒ राजा॑ दे॒व ऋ॒तं बृ॒हत् । अर्ष॑न्मि॒त्रस्य॒ वरु॑णस्य॒ धर्म॑णा॒ प्र हि॑न्वा॒न ऋ॒तं बृ॒हत् ॥ (१५)
शुद्ध होते हुए दीप्तिशाली, अत्यंत सत्य रूप एवं राजा सोम द्रोणकलश में धारा के रूप में गिरते हैं. प्रेरित एवं अत्यंत सत्य सोम मित्र और वरुण की रक्षा के लिए बहते हैं. (१५)
While being pure, the radiant, very true form and King Som falls as a stream in Dronakalash. Inspired and extremely truthful, Som flows to protect friends and Varuna. (15)