हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.107.6

मंडल 9 → सूक्त 107 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 107
पु॒ना॒नः सो॑म॒ जागृ॑वि॒रव्यो॒ वारे॒ परि॑ प्रि॒यः । त्वं विप्रो॑ अभ॒वोऽङ्गि॑रस्तमो॒ मध्वा॑ य॒ज्ञं मि॑मिक्ष नः ॥ (६)
हे जागरणशील एवं प्रिय सोम! तुम छनते समय भेड़ के बालों से बने दशापवित्र पर टपकते हो. लुम मेधावी एवं पितरों के नेता हो. तुम हमारे यज्ञ को अपने मीठे रस से भर दो. (६)
O awakening and dear Mon! You drip on the dasha-pita made of sheep's hair while you're sorting. Lum is the leader of the meritorious and fathers. You fill our yajna with your sweet juice. (6)