हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.32.3

मंडल 9 → सूक्त 32 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 32
आदीं॑ हं॒सो यथा॑ ग॒णं विश्व॑स्यावीवशन्म॒तिम् । अत्यो॒ न गोभि॑रज्यते ॥ (३)
हंस जिस प्रकार मानव-समूह में घुसता है, उसी प्रकार यह सोम सभी स्तोताओं की बुद्धि में प्रवेश करते हैं. जिस प्रकार घोड़े को स्नान कराते हैं, उसी प्रकार सोम जलों से सींचे जाते हैं. (३)
Just as the swan enters the human group, so this mon enters into the intellect of all the hymns. Just as the horse is bathed, so the mons are irrigated with water. (3)