हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.34.4

मंडल 9 → सूक्त 34 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 34
भुव॑त्त्रि॒तस्य॒ मर्ज्यो॒ भुव॒दिन्द्रा॑य मत्स॒रः । सं रू॒पैर॑ज्यते॒ हरिः॑ ॥ (४)
त्रित ऋषि का यह नशीला सोम अपने एवं इंद्र के पीने के लिए शुद्ध हो रहा है. हरे रंग का सोम दूध आदि के साथ मिलाया जाता है. (४)
This intoxicating som of the sage Trinity is being purified for his own and Indra's drinking. Green is mixed with mon milk etc. (4)