हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.36.2

मंडल 9 → सूक्त 36 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 36
स वह्निः॑ सोम॒ जागृ॑विः॒ पव॑स्व देव॒वीरति॑ । अ॒भि कोशं॑ मधु॒श्चुत॑म् ॥ (२)
हे यज्ञ वहन करने वाले, जागरूक एवं देवाभिलाषी सोम! तुम रस टपकाने वाले, दशापवित्र से छनकर द्रोणकलश में गिरो. (२)
O Yajna-carrying, aware and devabhishi Som! You, the one who drips the juice, filter it from the dashapavitra and fall into the dronakalash. (2)