हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.37.1

मंडल 9 → सूक्त 37 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 37
स सु॒तः पी॒तये॒ वृषा॒ सोमः॑ प॒वित्रे॑ अर्षति । वि॒घ्नन्रक्षां॑सि देव॒युः ॥ (१)
इंद्र के पीने के लिए निचोड़े गए, अभिलाषापूरक, राक्षसों का नाश करने वाले एवं देवाभिलाषी सोम भेड़ के बालों द्वारा बने दशापवित्र से छनकर द्रोणकलश में जाते हैं. (१)
Indra's squeezed for drinking, the wish-fulfilling, the destroyer of demons and devabhilashi Som, filters from the dashapavitra made by sheep's hair and goes to Dronakalsh. (1)