हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
प्र ण॑ इन्दो म॒हे तन॑ ऊ॒र्मिं न बिभ्र॑दर्षसि । अ॒भि दे॒वाँ अ॒यास्यः॑ ॥ (१)
हे सोम! तुम हमें महान्‌ धन देने के लिए आते हो. अयास्य ऋषि तुम्हारी तरंगों को धारण करते हुए पूजा करने के लिए देवों की ओर आते हैं. (१)
Hey Mon! You come to give us great money. The Ayasya Rishis come to the gods to worship you while holding your waves. (1)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
म॒ती जु॒ष्टो धि॒या हि॒तः सोमो॑ हिन्वे परा॒वति॑ । विप्र॑स्य॒ धार॑या क॒विः ॥ (२)
मेधावी स्तोता की स्तुतियों द्वारा सेवित, क्रांत-कर्म वाले सोम यज्ञ में स्थित होकर अपनी धारा को दूर देश तक विस्तृत करते हैं. (२)
Served by the praises of the meritorious hymn, the kranta-karma-wale som sits in the yajna and extends his stream to a distant country. (2)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
अ॒यं दे॒वेषु॒ जागृ॑विः सु॒त ए॑ति प॒वित्र॒ आ । सोमो॑ याति॒ विच॑र्षणिः ॥ (३)
ये जागरणशील एवं निचुड़े हुए सोम देवों के लिए सभी ओर जाते हैं एवं पवित्र होने के लिए दशापवित्र पर पहुंचते हैं. (३)
They go all the way to the awakening and uninvited Som devas and reach Dashapavitra to be holy. (3)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
स नः॑ पवस्व वाज॒युश्च॑क्रा॒णश्चारु॑मध्व॒रम् । ब॒र्हिष्मा॒ँ आ वि॑वासति ॥ (४)
हे सोम! ऋत्विज्‌ तुम्हारी सेवा करते हैं. तुम हमारे लिए अन्न की इच्छा करते हुए एवं हमारे यज्ञ को कल्याणकारी बनाते हुए टपको. (४)
Hey Mon! Ritwij serves you. You may, while wishing for food for us and making our yajna beneficial. (4)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
स नो॒ भगा॑य वा॒यवे॒ विप्र॑वीरः स॒दावृ॑धः । सोमो॑ दे॒वेष्वा य॑मत् ॥ (५)
मेधावी ब्राह्मण सोम को भग और वायु देव के लिए प्रेरित करते हैं. सोम नित्य वृद्ध होकर हमारे लिए देवों का धन दें. (५)
The meritorious Brahmins inspire Som to be bhaga and vayu dev. Som constantly grow old and give us the wealth of gods. (5)

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
स नो॑ अ॒द्य वसु॑त्तये क्रतु॒विद्गा॑तु॒वित्त॑मः । वाजं॑ जेषि॒ श्रवो॑ बृ॒हत् ॥ (६)
हे यज्ञ को प्राप्त करने वालों में श्रेष्ठ एवं पुण्यलोकों के मार्ग को भली प्रकार जानने वाले सोम! आज हमें धन देने के लिए महान्‌ अन्न एवं बल को जीतो. (६)
O Som, the best of those who attained the yajna and who knows the path of the virtuous ones well! Conquer the great grain and strength to give us money today. (6)