हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.44.2

मंडल 9 → सूक्त 44 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 44
म॒ती जु॒ष्टो धि॒या हि॒तः सोमो॑ हिन्वे परा॒वति॑ । विप्र॑स्य॒ धार॑या क॒विः ॥ (२)
मेधावी स्तोता की स्तुतियों द्वारा सेवित, क्रांत-कर्म वाले सोम यज्ञ में स्थित होकर अपनी धारा को दूर देश तक विस्तृत करते हैं. (२)
Served by the praises of the meritorious hymn, the kranta-karma-wale som sits in the yajna and extends his stream to a distant country. (2)