हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 9.48.2

मंडल 9 → सूक्त 48 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 9)

ऋग्वेद: | सूक्त: 48
संवृ॑क्तधृष्णुमु॒क्थ्यं॑ म॒हाम॑हिव्रतं॒ मद॑म् । श॒तं पुरो॑ रुरु॒क्षणि॑म् ॥ (२)
हे शत्रुओं के नाशक, प्रशंसा के योग्य, पूजा के योग्य, बहुत से कर्म करने वाले, नशीले एवं शत्रुओं की नगरियों को नष्ट करने वाले सोम! हम तुमसे धन मांगते हैं. (२)
O you destroyers of enemies, worthy of praise, worthy of worship, many who do many deeds, the intoxicating and destroyers of the cities of the enemies! We ask you for money. (2)